
सन 1962 की बात है, NASA कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय में एक ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन करा रहा था| इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भारत से 10 युवा वैज्ञानिकों को चुना जाना था| अन्तरिक्ष शोध सम्बन्धी भारतीय राष्ट्रीय कमेटी (INCS) के सचिव सदस्य और चेयरमेन इन दस वैज्ञानिकों के चयन में व्यस्त थे| INCS में तत्कालीन चेयरमेन विक्रम साराभाई थे| इस चयन प्रक्रिया में उनकी सहायता कर रहे थे एकांत चिटनिस, जोकि समिति के सचिव सदस्य थे| चिटनिस ने इन दस युवा प्रतिभागियों में से एक नाम सुझाया था| यह नाम था रामेश्रवम में पले-बढे अति-सामान्य पृष्ठभूमि से आये अब्दुल कलाम का| वही अब्दुल कलाम जो भारतीय अन्तरिक्ष मिशन को नयी ऊँचाई तक ले गए और बाद में भारत के राष्ट्रपति भी बने|
यहीं पर पहली बार विक्रम साराभाई ने अब्दुल कलाम का बायोडाटा देखा था| अब्दुल कलाम जीवन भर विक्रम साराभाई को अपना गुरु मानते रहे| एक बार अपने भाषण में उन्होंने खुद कहा था, “विक्रम साराभाई ने मुझे पहचाना था, मैं पढाई में बहुत अच्छा नहीं था लेकिन मैं बहुत ही मेहनती था| जब उन्होंने मुझे युवा वैज्ञानिक के रूप में मौका दिया तो मैंने उस समय खूब ज्ञानार्जन किया| इसके बाद उन्होंने मुझे आगे बढ़ने का पूरा मौका दिया, उन्होंने न सिर्फ तब मेरा चयन किया, जब मैं (योग्यता) सीढ़ी के सबसे निचले पायदान पर था बल्कि उन्होंने मुझे आगे बढ़ने की ज़िम्मेदारी सौंपी और इसके बाद यह भी सुनिश्चित किया कि उन जिम्मेदारियों में मैं सफल होऊं और जब मैं असफल हुआ तो वह हमेशा मुझे सहारा देने के लिए खड़े रहे|”
अब्दुल कलाम खुद को विक्रम साराभाई की खोज बताते रहे| वह उन्हें अपना गुरु मानते थे| विक्रम साराभाई से उन्होंने न सिर्फ विज्ञान और तकनीक के बारे में सीखा बल्कि जीवन और नेतृत्व की बारीकियां सीखीं|
भारत ने सन 1975 में पहली बार अपना सेटेलाईट अन्तरिक्ष में स्थापित किया, इस उपग्रह का नाम आर्यभट्ट रखा गया| जब देश ने पहला उपग्रह अन्तरिक्ष में स्थापित किया तब यह सफलता देखने के लिए विक्रम साराभाई मौजूद नहीं थे| सन 1971 में वह असमय मौत का शिकार हो गए थे, तब वह मात्र 52 वर्ष के ही थे|
विक्रम साराभाई को भारतीय अन्तिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है|
उन्होंने अपनी शुरूआती पढाई कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से की थी और उसके बाद प्रोफ़ेसर सी.वी.रमन के दिशा-निर्देशन में पीएच.डी. कोस्मिक किरणों पर सम्पन्न की थी|
विक्रम साराभाई ने देश में भौतिकी शोध प्रयोगशाला, भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम, भारतीय प्रबंधन संस्थान –अहमदाबाद जैसे कई महत्वपूर्ण संस्थानों की न सिर्फ स्थापना की बल्कि उन्हें सफलताओं की असीम ऊँचाईयों तक पहुँचाया| वह एक महान दिशा-निर्देशक थे, जिनकी छत्रछाया में अब्दुल कलाम जैसी महान हस्तियाँ फली-फूलीं|