
नेहरू चाहते थे कि आज़ादी के बाद भारत आर्थिक, सामाजिक, तकनीकी सहित सामरिक स्तर पर भी मजबूत बने। सन 1948 में ही देश में परमाणु ऊर्जा कमीशन बना दिया गया था, जिसके पहले चेयरमेन डॉ होमी जहाँगीर भाभा थे। यह तथ्य कमाल है कि जहां एक तरफ कुछ विद्वान देश का संविधान बन रहे थे और दूसरी तरफ कुछ वैज्ञानिक देश को परमाणु ऊर्जा से सक्षम बनाने का खाका तैयार कर रहे थे। तमाम राजनेताओं ने उस समय नेहरू का मज़ाक यह कहते हुए उड़ाया था, “नेहरू उस देश को परमाणु ऊर्जा से चलाने की सोच रहे हैं जो अभी बैलगाड़ी पर चल रहा है।” नेहरू की दूरदर्शिता का अंदाजा लगाते हुए बहुत आसानी से आश्चर्यचकित हुआ जा सकता है।
यह पत्र पहले गोपनीय था बाद में जिसे सार्वजनिक कर दिया गया। इस औपचारिक गोपनीय पत्र में होमी भाभा देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ‘प्रिय भाई’ कहकर संबोधित कर रहे हैं। यह उस पत्र का जवाब है जिसमें नेहरू ने परमाणु ऊर्जा कमीशन के प्रमुख और अपने मित्रवत वैज्ञानिक होमी भाभा से एक किताब में लिखी गई कुछ बातों के बारे में चर्चा की थी जो कि एक अमेरिकी पत्रकार एडगर स्नो ने लिखी थी। यह किताब विश्व में परमाण्विक हथियारों के विकास और उसके प्रभावों पर लिखी गई थी। यह काबिल-ए-तारीफ़ है कि कोई राजनेता कितनी बारीकी से वैश्विक मुद्दों के बारे में व्यक्तिगत स्तर पर वैश्विक विद्वानों के विचारों पर नज़र रखता था और अपने सहकर्मी विशेषज्ञों से विस्तृत जानकारी मांगता था। यहाँ यह भी गौर-तलब है कि सन 1963 में ही भाभा परमाण्विक हथियारों की महत्ता और उनके भारत में निर्माण की संभावनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। Read More……