ओपेनहाइमर सोवियत यूनियन का एजेंट है

Robert J. Oppenheimer

ओपेनहाइमर अमेरिकी परमाणविक कार्यक्रम के मास्टरमाइंड थे और उन्हें दुनिया भर में “फादर ऑफ एटोमिक बॉम्ब” कहा जाता है। सन 1945 के हिरोशिमा और नागासाकी के बाद उनका मन काफी उद्वेलित हो उठा था। इसके बाद उन्हें खुद से नफरत होने लगी थी कि उनके दिशानिर्देशन में इतने विनाशकारक हथियार का निर्माण हुआ। एक इंटरव्यू में उन्होने गीता को उद्धृत करते हुये कहा था कि मैं मृत्यु का मसीहा हो गया हूँ …! आत्मघृणा में उन्होंने सभी परमाणविक कार्यक्रम बंद करने की सलाहें आला अधिकारियों को दी थी।

इसके बाद उन्हें घेरने का दौर शुरू हुआ और लोग उनके खिलाफ खड़े होते गए। यह घेरना इस हद तक पहुँच गया कि उन्हे देशद्रोही कहा गया और उन्हे रूस का एजेंट तक कह दिया गया। देश के लिये सब कुछ लुटा चुका वैज्ञानिक एक अजीब दौर से गुज़र रहा था तभी उसके एक और सहकर्मी ने उनके बारे में एफबीआई के अधिकारी को पत्र लिखा।

Einstein and Oppenheimer

नवंबर 1953 मे जे. एडगर हूवर को ओपेनहाइमर के बारे में एक पत्र लिखकर भेजा गया जिसे कि विलियम बोर्डन ने लिखा था। विलियम बोर्डन कॉङ्ग्रेस की संयुक्त परमाणु ऊर्जा कमेटी के एक्ज़ीक्यूटिव निदेशक हुआ करते थे। बोर्डन ने इस पत्र को कई साल के अनुसंधान का परिणाम बताया। इसमें ओपेनहाइमर को रूस का गुप्तचर एजेंट कहा गया था। हालांकि इस पत्र में कोई आरोप ऐसा नहीं था कि जो बहुत नया हो। ओपेनहाइमर के बारे में काफी समय से ऐसी बातें हो रही थीं मगर इस पत्र के बाद, कोई ठोस सबूत न होने के बावजूद ओपेनहाइमर और देश की महत्वपूर्ण फाइलों के बीच आइजेनहवार के निर्देशानुसार एक “ब्लेङ्क वाल” यानि दीवार खड़ी कर दी गई थी..

इसके बाद की कहानी काफी लंबी है….

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नवम्बर 7, 1953
श्री जे. एडगर हूवर
निदेशक, फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन
वाशिंगटन, डी. सी.

प्रिय श्री हूवर:

यह पत्र जे. रॉबर्ट ओपेन्हाईमर के बारे में है।

जैसाकि आप जानते हैं, उन्होंने कुछ वर्षों तक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद्, राज्य विभाग, रक्षा विभाग, थलसेना, नौसेना, वायुसेना, शोध एवं विकास बोर्ड, परमाणु ऊर्जा कमीशन, केन्द्रीय अन्वेषण एजेंसी, राष्ट्रीय सुरक्षा संसाधन बोर्ड और राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन के अत्यंत संवेदनशील क्रियाकलापोंकी पहुँच का आनंद लिया है। उनकी पहुँच के अन्दर सेनाओं द्वारा विकसित किये गए अत्याधुनिक एवं नए हथियारों, सामरिक योजनाओं की कम से कम संक्षिप्त रूपरेखा, तथा परमाण्विक और हाइड्रोजन बमों की और इकठ्ठा किये गए डेटा की विस्तृत जानकारी है, कुछ ख़ास सबूत जिनके आधार पर सीआईए अपने प्रमुख अंदाज़ लगाती है, अमेरिका संयुक्त राष्ट्र और नाटो में अपनी भागीदारी तय करता है और राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बंधित अन्य तमाम जानकारियाँ हैं।

चूँकि उनकी पहुँच का विस्तार बहुत ही अद्वितीय हो सकता है, क्योंकि उनके पास सेना, गुप्तचर विभाग और राजनैतिक और साथ ही परमाण्विक ऊर्जा मामले के दस्तावेजों का बड़ा संकलन देखरेख में रहा है, और चूँकि उनके पास वैज्ञानिक समझ है जो कि उन्हें तकनीकी प्रकार के गुप्त डेटा के महत्व को समझने की क्षमता प्रदान करती है, यह अंदाजा लगाना तार्किक प्रतीत होता है कि वह अभी और कई सालों से इस स्थिति में रहे हैं कि वह अमेरिका में किसी और की अपेक्षा अधिक राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा को प्रभावित करने वाली अधिक महत्वपूर्ण और विस्तृत जानकारी के साथ समझौता करने की स्थिति में रहे हैं।

हालांकि रॉबर्ट जे. ओपेन्हाईमर ने विज्ञान के क्षेत्र के विकास में कोई खास योगदान नहीं दिया है, इसके बाद भी वे अमेरिका के द्वितीय रैंक के बड़े भौतिकविदों में सम्माननीय स्थान रखते हैं। सरकारी मामलों में उनकी निपुणता, उच्चाधिकारियों से उनकी नजदीकी मोलभाव / जोड़-तोड़, और उच्च स्तर के वैचारको… Read More….

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