हार्डी कहते हैं कि उन्होंने दूसरा न्यूटन खोज लिया है:बर्ट्रेंड रसेल

बर्ट्रेंड रसेल अपने समय के प्रभावशाली और प्रसिद्ध ब्रिटिश दार्शनिक, गणितज्ञ, लेखक, सामाजिक चिन्तक और राजनीतिज्ञ थे जिन्हें साहित्य में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था| वह ब्रिटेन के बड़े रईस परिवार से ताल्लुक रखते थे| उन्हें विश्लेषणात्मक दर्शनशास्त्र के सह-जन्मदाता के रूप में भी जाना जाता है| उनका कार्यक्षेत्र दर्शनशास्त्र, भौतिकी, भाषा-दर्शन, संज्ञानात्मक विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान आदि माने जाते हैं जिनमें वह प्रभावशाली साबित हुए| रसेल युद्धों के खिलाफ थे|

‘लेडी ओटोलाइन मोरेल’ एक अंग्रेज रईस थीं जिनके यहाँ कला और बौद्धिक वर्ग के लोग आकर रहते थे| वह एक मशहूर मेजबान थीं| इन विद्वानों में डी.एच. लोरेन्स और टी.एस. इलियट जैसे लोग भी शामिल रहे|

बर्ट्रेंड रसेल और लेडी ओटोलाइन मोरेल में बहुत लम्बे समय तक प्रेम सम्बन्ध रहे| ऐसा कहा जाता है कि इस समय में लेडी मोरेल ने रसेल के साथ लगभग 3500 प्रेम-पत्र साझा किये|  

Lady Ottoline Morrell and Bertrand Russell

उन तमाम पत्रों में से एक पत्र यह भी है जो कि बर्ट्रेंड रसेल ने लेडी मोरेल को लिखा था| जब यह पत्र लिखा गया, तब प्रोफ़ेसर जी. एच. हार्डी को रामानुजन का एक पत्र ही मिला था| शुरू में हार्डी को ऐसा लगा कि उनके किसी दोस्त या प्रतिद्वंद्वी ने उनके साथ मज़ाक किया है| जब वह रामानुजन के द्वारा दिए गए गणितीय समीकरणों को हल नहीं कर पाए और प्रमेयों की उपपत्ति कर पाने में असफल रहे और इसके बाद तय हो गया कि यह पत्र भेजने वाला सच में विशेष प्रतिभा वाला है तो वह ख़ुशी से पागल हो गए| हार्डी पूरे कैम्ब्रिज में रामानुजन की प्रमेयों के कथन लेकर घूमते और गणितज्ञों से कहते कि वह इन्हें हल करने का प्रयास करें| हार्डी कैम्ब्रिज में यह कहते फिर रहे थे कि उन्होंने एक और न्यूटन की खोज कर ली है वह मद्रास में २० पाउंड प्रति वर्ष की तनख्वाह पर पोर्ट ट्रस्ट में क्लर्क है| बर्ट्रेंड रसेल ने अपनी प्रेमिका को लिखे इस पत्र में हार्डी की ख़ुशी का ज़िक्र किया है-

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02 फरवरी, 1913

मेरी प्रिये,

S. Ramanujan in Cambridge

आज सुबह तुम्हारी ओर से कोई पत्र नहीं आया इससे मुझे बहुत दुख हुआ, लेकिन मुझे आशा है कि कल सुबह की पहली डाक से तुम्हारा पत्र आ जाएगा| आज का दिन काफी व्यस्त था और सेंगर और नोर्टन बार-बार आते-जाते रहे| मुझे सेंगर के साथ सच में बहुत आनंद आया| लेकिन विटजेंस्टाइन के बारे में यह है कि मैंने यह कहकर उसे चौंका दिया कि मैं सोचता हूँ कि वर्तमान समाज बहुत कमज़ोर है| मैंने आज (बर्नांड) बोसान्क्वेट (एक दार्शनिक) की किताब को पढ़कर ख़त्म कर दिया, और मैं उस किताब के सम्बन्ध में अपनी समीक्षा कल लिखूंगा| मैंने कैरिन के शोधपत्र की  लम्बी आलोचना भी लिखी, जिसे मैंने उसे भेज दिया है| (ट्रिनिटी) हॉल में मैंने दैकिन और हाल्वी को देखा| रात के भोजन से पहले ‘नॉर्थ’ आ धमका, वह बहुत उत्साहित था कि उसने इंजीनियर बनने की ठान ली है, जो कि वह बहुत पहले से बनने का इच्छुक था, लेकिन वह सोच रहा था कि उसकी सेहत यह (इंजीनियरिंग) बर्दाश्त नहीं कर पायेगी; यह निश्चय करने के बाद वह बहुत खुश था| हॉल में मैंने हार्डी और लिटिलवुड को उफान मारते हुए उत्साह की स्थिति में पाया, क्योंकि उन्हें विश्वास है कि उन्होंने दूसरा न्यूटन खोज लिया है, वह एक हिन्दू क्लर्क है जो कि मद्रास में रहते हुए 20 पाउंड प्रति वर्ष कमाता है| उसने हार्डी को अपने प्रयासों द्वारा प्राप्त किये कुछ परिणाम भेजे थे, जिन्हें हार्डी बहुत अधिक आश्चर्यजनक मान रहे हैं, विशेष रूप से उसके द्वारा जिसके पास साधारण स्कूली शिक्षा ही है| हार्डी ने भारतीय ऑफिस को पत्र लिखा है और वह उम्मीद कर रहे हैं कि वह उस लड़के को एक समय यहीं (कैम्ब्रिज) में बुला लेंगे| यह बहुत ही व्यक्तिगत बाते हैं जिन्हें सुनकर मुझमें भी काफी उत्साह है|

इस विशेष समय में अपने मसलों के लिए समय निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है| जब मैं लन्दन से वापस आता हूँ, मेरे पास राजसी काम, प्रूफ्स, भूमिकाएं लिखना, भाषण, दोपहर का भोजन, और लोगों के साथ टहलने का काम होता है- विटजेंस्ताइन और अन्य लोगों के साथ और लोग भी इस समय आ धमकते हैं| इसका परिणाम यह है कि मेरे पास शुक्रवार शाम तक शायद ही एक पल खाली होगा, और इसके बाद मुझे नींद आने लगेगी और इस तरह शनिवार आ जाएगा| बोसनक्वेट (को पढ़ने के काम) ने बेशक समय लिया| लेकिन व्यावहारिक रूप से मैं छुट्टियों के अलावा के समय में बहुत कुछ नहीं कर सकता| वास्तव में, मुझे दिखाई देता है कि अमेरिका से वापस आ जाने तक मैं इस (विषय) पर बहुत गंभीरता से काम नहीं कर पाऊंगा| इसके बाद मुझे निश्चित रूप से वही करना चाहिए जो कि इसे पूरा करने के लिए ज़रूरी है -इसे अभी यहीं छोड़ देते हैं| जब कोई काम के बारे में सोचता है, साल दर साल भयानक रफ़्तार के साथ निकलने लगते हैं, काम चल ही रहा होता है और किसी की मृत्यु आ जाती है| यह भावनाओं के बारे में सोचने से कितना अलग है, जो कि जीवन को काफी लंबा बना देतीं हैं! एक इंसान कितने ऐसे अंतों और शुरुआतों तक पहुँचता है, जहां वह हमेशा प्रवेशद्वार पर ही खड़ा काम कर रहा होता है| मैं दर्शन में यह पाता हूँ कि मैं साल दर साल और अधिक खुले दिमाग वाला इंसान बन रहा हूँ, और आदतन मान्यताओं का कम से कम गुलाम होता जाता हूँ| यह अब आरामदायक होता है, विशेष रूप से जैसे मैं यह अपने अन्दर ही पाने के लिए और मानसिक आदतों की गुलामी से बचने के लिए  बहुत अधिक दुःख-दर्द सहे हैं|

मैं अब बहुत अधिक खुश, जीवन और ऊर्जा से भरा हुआ हूँ| मेरी प्रियतमा, मैं तुम्हारा पत्र पाने के लिए बेचैन हूँ| मेरा सारा प्यार हर लम्हा तुम्हारे साथ है|

मेरी धड़कन…

तुम्हारा बी.

(बर्ट्रेंड रसेल)

(Letter Courtesy: Harry Ranson Humanities Center at University of Texas, Austin)        

This article is originally published in “Setu: A bilingual magazine published from Pittsburgh, USA”

2 Comments

  1. क्या कोई अपनी प्रेमिका को इस तरह से पत्र लिखता है कि अमुक ने आज इंजीनियरिंग करने का निर्णय ले लिया है या अमुक ने अमुक पुस्तक पढ़ ली है

    और प्रेमिका के बारे में पत्र में कोई बात नहीं!!

    अब प्रेमिका ऐसे विद्वानों से उबेगी नहीं तो आखिर कब तक झेलेगी…

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  2. बर्ट्रेंड रसेल सर के बारे में एक प्रकरण याद आता है कि जब उन्होंने एक विरोधाभास को सुलझाने में बिना एक भी कदम बढ़ाए अर्थात बिना एक भी शब्द लिखे लगभग 2 वर्ष गुजार दिए थे

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