मैं वह सबकुछ भूल जाना चाहता हूँ: हाइजेनबर्ग

हाइजेनबर्ग को क्वान्टम भौतिकी में अभूतपूर्व योगदान के लिए सन 1932 में नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था, तब वह मात्र 31 वर्ष के थे। उनका जीवन दोहराव से भरा हुआ था। आइंस्टीन के सिद्धान्त कक्षा मे पढ़ाने के कारण जर्मन लोग उन्हें “ह्वाइट ज्यू यानि गोरे यहूदी” कहकर चिढ़ाते थे, वहीं हिटलर के शासन काल मे जर्मनी मे रुक जाने और जर्मन नाभिकीय कार्यक्रम का नेतृत्व करने के कारण बाकी दुनिया के प्रगतिशील उस समय उन्हें फासीवादी कहते थे।
खैर, अनिश्चितता के सिद्धान्त के कारण पुरस्कृत होने के ठीक कुछ साल बाद एक निश्चितता से उनका सामना हुआ: उन्हें प्यार हो गया था। 28 जनवरी 1937 को जब वह अपने दो वायलिन बजाने वाले मित्रों के साथ पियानो बजाकर उठे तो उनकी मुलाकात एक सुंदर महिला से हुई। यह 21 वर्षीय एलिज़ाबेथ शूमाकर थी। इस पहली मुलाक़ात में ही दोनों लोग बह गए। अपनी पढ़ाई खत्म कर प्रकाशन में अपना भविष्य खोजने के प्रयास कर रही एलिज़ाबेथ शूमाकर और नोबल विजेता वार्नर हाइजेनबर्ग को पहली मुलाक़ात मे प्यार हो गया। बीठोवन के संगीत के कारण मिले जोड़े ने पाया कि उनकी आत्माओं में एक ही तरह का संगीत है। पहली मुलाक़ात के ठीक चौदह दिन बाद उन्होने सगाई कर ली। हाइज़ेनबर्ग सगाई के बाद अपनी माँ को एक पत्र मे लिखते हैं-

कल, आपका अनुमोदन मानते हुये- मैंने सगाई कर ली। एलिज़ाबेथ के साथ दोस्ती बमुश्किल चौदह दिन पुरानी है और यह प्रथमदृष्टया एक सामाजिक समारोह में अकस्मात शुरू हुयी बातचीत से शुरू हुई, जिसमें हमारे बीच में केंद्रीय महत्ता के मामलों मे हमारे विचारों के एकरूप होने की बात उभर कर सामने आई। यह पारस्परिक समझदारी, जैसे कि इसमें किसी एक को बातचीत जारी रखनी थी जो कि ऐसे लग रहा रहा था कि बहुत समय पहले शुरू हुई है, यह बातचीत बहुत ही जल्दी इतनी गहरी हो गई कि यह मुझे इतनी प्रकृतिक लगने लगी कि मैंने एलिज़ाबेथ से पूछा कि क्या वह हमेशा के लिए मेरे साथ रहना चाहेगी?  

हाइजेनबर्ग और एलिज़ाबेथ ने पहली मुलाक़ात के ठीक 3 महीने बाद अपनी शादी का दिन तय कर दिया। इस तरह वह अपने जीवन के बारे मे योजना बनाने लगे। 15 मार्च को हाइजेनबर्ग ने एलिज़ाबेथ को यह पत्र लिखा-

प्रिय एलिज़ाबेथ!
यह सोचना अजीब लगता है कि मैं तुम्हें यह पहला पत्र लिख रहा हूँ। यह मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं तुम्हें कई सालों से पत्र लिखता आ रहा हूँ, जैसे कई सालों से हम एक दूसरे के नजदीक और पहचान वाले रहे हैं, और अभी का हालिया अकेलापन एक हमेशा सी खूबसूरत, और एक दूसरे की आदी साझा जिंदगी मेँ एक छोटा सा दर्दनाक व्यवधान प्रतीत होता है। मेरी जिंदगी में ……………Read More

1 Comment

  1. Achha kaam kiya gya h, 14 days ki mulakat , 3 months ki pehchaan, bahut he achha research hai.

    Sabdou ko kaafi behtarin tarike se piroya gya hai…

    Good luck for all your works👍

    Like

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s